राजकुमार की रोचक कथाएं, rochak tathya

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Rochak tathya

राजकुमार की रोचक कथाएं (rochak tathya) आपको पसंद आएगी, इसमें हमे यह देखने को मिलता है की हमे कोई भी काम सोच विचार कर ही करना चाहिए, साधु बाबा अपनी तपस्या कर रहे थे, वह अपने मंत्रो का उच्चारण कर रहे थे तभी अचानक ही वहा पर राजकुमार जोकि शिकार करने आया हुआ था, साधू जी से कुछ ही दुरी पर था राजकुमार को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, उसने उस साधु जी को हिरण समझकर तीर चला दिया था, तभी वहा से आवाज आयी और राजकुमार उधर ही चला गया था,

राजकुमार की रोचक कथाएं : Rochak tathya

Rochak tathya

जब राजकुमार वहा पर गया था, तो साधु जी को वहा पर पाकर वह अपनी गलती पर पछताने लगा था, उसने साधु जी से अपनी गलती के लिए छमा मांगी थी, तभी साधु जी ने उससे कहा की तुम अपने शोख के लिए जानवरो को मारते हो, उसी की वजह से तुमने मुझ पर तीर चला दिया था, इसलिए में तुम्हे शाप देता हु की तुम कुछ देर बाद पत्थर के बन जाओगे, 

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अपनी सजा सुनकर वह राजकुमार साधु जी से अपनी गलती के लिए छमा याचना करने लग गया था, राजकुमार ने यह काम जानकार नहीं किया था, अब वह जीवन में कभी शिकार पर नहीं जाएगा, इस तरह उसने साधु जी से छमा मांगी, साधु जी ने कहा की ठीक है में तुम्हारी सजा को खत्म तो नहीं कर सकता मगर कम जरूर कर सकता हु,

 

साधु जी ने कहा की शाप ऐसा होता है जिस तरह धनुष से निकला तीर अपने स्थान पर चला जाता जाता है उसी तरह शाप भी है वह भी एक बार मुख से निकलने के बाद वापिस नहीं होता है, लेकिन तुम्हारे इतना कहने पर तुम्हारा शाप जब समाप्त हो जाएगा, जब एक सच्चा इंसान का पैर पत्थर को छुएगा, तभी तुम इंसान के रूप में आ जाओगे, और कुछ देर बाद वह राजकुमार पत्थर बन जाता है, 

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समय बीतता चला गया मगर कोई भी सच्चा इंसान नहीं आया था, उधर राजकुमार को ढूढ़ते हुए सैनिक भी आये वह राजकुमार को खोजते हुए उस जगह पर भी आये थे लेकिन राजकुमार अब पत्थर का बन चुका था, वह उसे देख नहीं सकते थे, वह भी वापिस लोट गए थे, तभी एक इंसान जिसके पास बैलगाड़ी थी, वह उस पत्थर को उठाने लगा क्योकि उसे उसकी जरूरत थी,

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वह उसे लेकर चल दिया था, जब वह गांव में पहुंचा तो उसने वह पत्थर नीचे उतारा और अपनी बैलगाड़ी के पास रख दिया था, जिससे उसकी बैलगाड़ी नीचे की और न जा सके, राजकुमार सब कुछ देख रहा था, मगर एक पत्थर कुछ भी नहीं कर सकता था, वह उस समय का इंतज़ार कर रहा था, जब एक सच्चा इंसान उसकी मदद कर सकता था,   

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समय और बीत गया था राजकुमार के गम में राजा और रानी भी धीरे-धीरे बीमार पड़ चुके थे, राजकुमार को उन्होंने काफी साल से नहीं देखा था, राजा और रानी भी अब बूढ़े हो रहे थे, पर राजकुमार का इंतज़ार वो अभी भी कर रहे थे, एक दिन बैलगाड़ी वाले के यहां पर एक साधु जी आये उन्होंने उससे भिक्षा मांगी,

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बैलगाड़ी वाला और कहने लगा था,

की अभी तुम बहार ही रुको में अभी कुछ लेकर आया,

तभी साधु जी ने उस पत्थर को पैर से छू लिया था,

उनके छूटे ही वह राजकुमार अपने रूप में आ गया था,

राजकुमार का समय तो वही ठहर गया था,

जब वह अपने रूप में आये तो वह अभी भी ऐसे ही लग रहे थे जैसे वो आज है,

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राज कुमार ने उनके पैर छुए और अपने बारे में सब कुछ बता दिया था, साधु जी ने कहा की तुम्हे अपने घर जाना चाहिए सभी लोग तुम्हारा इंतज़ार कर रहे होंगे, महल की बात सुनकर राजकुमार वहा से चला गया था, महल जाकर जब राजा और रानी ने राज कुमार को देखा तो उन्हें ऐसा लगा की अब उनका जीवन वापिस लोट रहा था,

 

राजकुमार के गम में दोनों बहुत परेशान थे, अब वह धीरे-धीरे ठीक होने लगे थे, राजकुमार ने सारी बात बताई और इस तरह हमे यह पता चलता है की चाहे गलती अनजाने में हुई हो लेकिन दुःख सभी को होता है, इसलिए जीवन में ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे परेशानी का सामना न करना पड़े, अगर आपको यह राजकुमार की रोचक कथाएं (rochak tathya, rochak post) पसंद आयी है तो आप इसे आगे भी शेयर करे और कमेंट करके हमे भी बताये.

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अभी राजकुमार महल नहीं आया था. जब वह महल नहीं आते है तो सभी को बहुत चिंता होती है. मगर कुछ समय बाद ही महल में आते है. उनकी देरी का कारण पूछा गया था उसके बाद राजकुमार कहते है की मेने आज अपने राजय को देखा था प्रजा कि तकलीफ को सुना था. अब मुझे समझ आया है की हम महल के अंदर बैठकर किसी की समस्या को सुन सकते है.

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मगर उस समस्या का अहसास हमे उनके पास जाकर होता है

तब पता चलता है की समस्या जब अपने आप पर आती है तो कैसा लगता है.

यह सुनकर राजा को आज अहसास हो गया था.

जीवन में राजकुमार इस समस्या को सुन सकते है

मगर उनके बारे में अधिक ज्ञान तभी होता है

जब उनकी समस्या को वह पास जाकर समझते है

राजा चाहते थे जब तक राजकुमार उनके काम को नहीं समझते है

तब तक कोई ज्ञान नहीं होता है. मगर आज उन्हें ज्ञान हो गया था.

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उसके बाद वह राजकुमार के पास आते है. वह कहते है की मुझे बहुत ख़ुशी है. क्योकि आज तुमने वह ज्ञान ले लिया है जिको में चाहता था. तुम्हे वह मिलना चाहिए. अब तुम्हे वह ज्ञान मिल गया है. मुझे बहुत ख़ुशी है. राजकुमार कहते है की आप सही कहते है सही ज्ञान तभी आता है. जब हम उसके बारे में जानते है. उसे समझते है. तब पता चलता है की हमे उसके बारे में कितना ज्ञान है. इसलिए जीवन में किसी भी समस्या का पता तभी लगाया जा सकता है, जब वह समस्या आप देखते है उसके बाद ही उसे दूर भी किया जा सकता है.

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