रेगिस्तान का सफर भाग पांच, kahani in hindi

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आप यहां पर रेगिस्तान का सफर कहानी भाग पांच (kahani in hindi) पढ़ रहे है अगर आपने अभी तक इस खाने के पिछले भाग नहीं पढ़े है तो आप उन्हें जरूर पढ़ ले तभी आप इस कहानी को अच्छे से समझ पाएंगे, हम यहां पर कुछ पिछले भाग के बारे में बताने जा रहे है जिससे आप कुछ हद तक कहानी को समझ सकते है,

रेगिस्तान का सफर कहानी भाग पांच : kahani in hindi

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जब रंकित अपने सफर पर निकलता है (Read More-रेगिस्तान का सफर कहानी भाग एक) तो उसे पता नहीं होता है की वह अपने ताऊ के पास जा रहा है वह उसके ताऊ जी नहीं है बल्कि उसके पिताजी है, जब वह उनके पास पहुंच जाता है तो अपने भाई साकेत से मिलता है और जब वह घूमने जाते है तो राजकुमारी से मुलाकात होती है जिसके कारण रंकित को पकड़ लाया जाता है, उसके बाद साकेत उसे बचाकर ले आता है, लेकिन कुछ दिन बाद पता चलता है की राजकुमारी को दूसरे राज्य के राजा ने पकड़ लिया है,

 

रंकित और साकेत राजा के पास जाते है और राजकुमारी को बचा लाने के लिए कहते है राजा उनकी बात मान जाता है और वह उस राज्य की और निकल पड़ते है और राजकुमारी को ढूढ़ते है अब हम आगे पढ़ते है, रंकित और साकेत दोनों सभी लोगो से पूछते है मगर उन्हें सही जानकारी नहीं मिलती है, तभी एक आदमी वही पर खड़ा हुआ रहता है जो सब कुछ जानता है, मगर वो ऐसे ही कुछ नहीं बताता है, बल्कि जानकारी देने से पहले कुछ धन की मांग करता है,

 

रंकित उसे कुछ धन देते है और उससे पूछते है की राजकुमारी कहा पर है वह आदमी उन्हें रास्ता दिखाता है, जब वह देखते है तो वहा पर बहुत सख्त पहरा दिखाई देता है उस जगह पर बहुत से सैनिक खड़े हुए थे वह एक ऐसी जगह पर है जहाँ पर चारो और जंगली इलाका और एक गुफा बनी हुई है उस गुफा के चारो और बहुत से पेड़ है, और सैनिक भी खड़े हुए है अंदर जाना बहुत मुश्किल था, लेकिन कुछ तो सोचना ही होगा, राजा से दोनों वादा करके आये थे,  

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तभी दोनों वही पर बैठकर कुछ सोचने लगे थे तभी उनकी नज़र एक गाडी पर गयी थी, वह घोडा गाडी कोई चलकर आया था उसमे राज कुमारी के लिए भोजन आया था रंकित ने सोचा की हमे इसका प्रयोग करना चाहिए लेकिन इसके लिए उन्हें इंतज़ार करना होगा, क्योकि उन्हें कोई देख न पाए, अगले दिन जब वह घोडा घड़ी आयी तो उन्होंने ने उसे रोक लिया था, और दोनों उसमे सवार हो गए थे,

 

तभी जब वह घोडा-गाडी रुकी तो एक सैनिक उस गाडी के पास आया और बोलै की यह खाना अंदर ले जाओ और जब राजकुमारी खाना खा ले तो तुम दोनों चले जाना, दोनों ने अपना सर हिलाया और अंदर चले गए थे, अंदर जाने पर राजकुमारी से मिलने से पहले दो महिला आयी और बोली की यह खाना हमे दे और बहार ही इंतज़ार करे, दोनों यही सोच रहे थे की क्या किया जाए, मगर एक ही विचार उन्हें आया था,

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वह अंदर गए और राजकुमारी ने रंकित को पहचान लिया था, वह दोनों महिला बोली की तुम्हे बहार ही रहना था साकेत बोला की हम बहार क्यों रहे यह हमारी राजकुमारी है हम इसे लेने आये है, वह दोनों महिल को अंदर बंद कर दिया था और राजकुमारी को लेकर बहार आने का रास्ता खोज रहे थे तभी राजकुमारी का वेश बदल दिया और साकेत राजकुमारी के साथ बहार आ गया था रंकित अंदर ही था, क्योकि एक साथ तीनो बहार नहीं जा सकते थे,

 

साकेत राजकुमारी को लेकर चला गया था और उधर रंकित भी निलने की कोशिश कर रहा था और वह भी एक महिला का रूप बनाकर वहा से चला गया था इस तरह सभी लोग बिना किसी के पता चले बहार आ गए थे, राज कुमारी को बचाने में जिस जगह पर सेना कम पड़ रही थी वही पर सिर्फ दो ही लोगो ने यह काम कर दिया था, राजकुमारी अपने महल में जा चुकी थी.

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जब राजा ने राजकुमारी को देखा वह बहुत खुश हो गए थे, क्योकि राजकुमारी आ चुकी थी, और राजा को किसी भी बात की कोई चिंता नहीं थी, राजा यही सोच रहा था की मेरे पास इतने सैनिक है फिर भी कोई कुछ नहीं कर पाया था मगर यह लड़का बहुत तेज था, जिसने बहुत ही आसानी से राजकुमारी को बचा लिया था, राजा कुछ सोच रहा था, तभी राजा ने उस लड़के के बारे में पता किया और उसके घर मिलने के लिए गए थे,

 

यह बात रंकित नहीं जानता था की उसके ताऊ ही उसके पिताजी है, जब राजा ने उस लड़के के बारे में पूछा तो उसके ताऊ ने सब कुछ बता दिया था, राजा को अब पता चल गया था की यह उनका ही बेटा है और उसके ताऊ ही असली पिताजी है, अब राजा ने उनके सामने यह बात रखी की में अपनी बेटी का विवाह करना चाहता हु, तुम्हारा लड़का बहुत ही होशियार है, और वह सब कुछ कर सकता है अगर वह राजा बनता है तो हमे उम्मीद है की सब कुछ हो सकता है,   

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यह सुनकर रंकित के पिताजी बहुत खुश हो गए थे क्योकि वह राजकुमारी का विवाह करना चाहते है, यानी के अब रंकित राजा बन जाएगा, यह बात रंकित और साकेत ने सुन ली थी क्योकि आज उसे पता चल गया था की रंकित के पिताजी कौन है साकेत भी यह बात नहीं जानता था और उसे भी इस बात का पता आज चल गया था, जब राजा वहा से चला गया तो रंकित अपने पिताजी के पास आया

 

रांकित ने अपने पिताजी से पूछा की आपने कभी नहीं बतया था और मुझे यह बात आज तक क्यों पता नहीं चल पायी थी, यह बात आपने क्यों छुपाई थी, रांकित के पिता बोले की तुम्हारे चाचा के पास कोई लड़का नहीं था इसलिए हमने तुम्हे उन्हें दे दिया था जिससे वह बहुत खुश हो गए उनकी ख़ुशी के आगे हमने कुछ नहीं कहा था, उसके बाद रांकित की शादी राजकुमारी से हो गयी थी और वह राजा भी बन गया था, कोई नहीं जानता था की यह सफर उसे यहां पर ले जाएगा,

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