naitik shiksha ki hindi kahani, नैतिक शिक्षा की कहानी

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naitik shiksha ki hindi kahani

नैतिक शिक्षा की कहानी : naitik shiksha ki hindi kahani, naitik kahaniya, वह सभी बच्चे खेलते हुए काफी दूर निकल आए थे जब सभी ने मुड़कर देखा तो वह अपने घर से काफी दूर निकल आए थे अब वह इसी बात को सोच रहे थे कि अगर हम समय से घर नहीं पहुंचे तो हमें इस बात के लिए घर पर डांट भी पड़ सकती है इसलिए (therefore) हमें जल्दी ही घर जाना चाहिए

naitik shiksha ki hindi kahani

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naitik shiksha ki hindi kahani

naitik shiksha ki hindi kahani, लेकिन (but) वह घर जाने के लिए जैसे ही चलने को तैयार हुए थे मौसम अचानक खराब हो गया और वह समय से घर नहीं पहुंच पाए थे अब उन्हें लग रहा था कि अगर (supposing) हम देरी से घर पर पहुंचेंगे तो इससे हमारी पिटाई भी हो सकती है इसलिए वह इस बात को सोचकर बहुत परेशान हो रहे थे उन्हें तो यही लग रहा था कि समय से घर पहुंच जाएंगे लेकिन (but) वह अपने खेलने में ही समय को बहुत ज्यादा व्यतीत कर दिया था सभी को इस बात का डर लग रहा था, (naitik shiksha ki hindi kahani)

 

लेकिन (but) घर तो जाना ही था इसलिए (therefore) जब घर के लिए चलने के लिए तैयार हुए तो रात हो चुकी थी वह काफी समय बाहर ही रहे थे जिसकी वजह से वे समय से घर नहीं पहुंच पाए थे जब सभी बच्चे घर की ओर जा रहे थे तभी रास्ते में उन्हें बहुत सारे भेड़िए नजर आए भेड़िए को देखकर वह डर गए और वह वहीं पर रुक गए क्योंकि (Because) उन्हें पता था कि अगर भेड़िए के सामने आए तो वह उन पर हमला कर सकता था रात का समय हो चुका था वह सभी भेड़िए बाहर आ चुके थे और उन पर हमला करने के लिए तैयार थे

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लेकिन उन्हें घर पहुंचना था वह किस तरह घर पहुंच सकते हैं इस बात को सोचकर बहुत परेशान हो रहे थे वह भेड़िए जाने का इंतजार कर रहे थे उसी के बाद घर की ओर निकल जाएंगे लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा था भेड़िए काफी संख्या में थे और कुछ बड़ी वहीं पर ही बैठ चुके थे तभी उनके पास एक आदमी आया और कहने लगा कि तुम सभी बच्चे रात को यहां पर क्या कर रहे हो तभी सभी ने बताया कि हम खेलते हुए काफी दूर आ गए थे और जब घर की ओर गए तो हमें बहुत देर हो रही थी  

 

हम सामने जाने के लिए तैयारी हो रहे थे कि देखा कि कुछ भेड़िए है वहीं पर खड़े हुए हैं और हम घर नहीं जा सकते हैं तभी वह आदमी कहने लगा कि मैं हर रोज इसी समय से यहां से निकल जाता हूं लेकिन तुम्हें देख कर रुक गया था तुम्हें दूसरा रास्ता लेना चाहिए सभी बच्चों ने कहा कि हमें दूसरा रास्ता बिल्कुल भी पता नहीं है वह आदमी कहने लगा कि इस रास्ते पर बहुत सारे भेड़िए है इसलिए यहां पर से हम नहीं जा सकते हमें दूसरा रास्ता लेना चाहिए

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उसके बाद सभी बच्चों को लेकर वह आदमी दूसरे रास्ते से गांव चला गया उन सभी बच्चों को उसने उनके घर पर छोड़ दिया था और कहा कि किस तरह भी हो तुम्हें रात के समय में बाहर नहीं जाना चाहिए अगर तुम बाहर जाते हो तो समय से तुम्हें पहुंच जाना चाहिए लेकिन तुमने इस बात की चिंता नहीं की जिसकी वजह से तुम आज परेशानी में पड़ सकते थे यह बात बच्चे समझ गए थे उस दिन के बाद उन्होंने यह तय किया कि हम रात के समय में घर से बाहर नहीं निकलेंगे

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हमें यह कहानी यही बताती है कि तुम्हें भी बड़ों की बातें माननी चाहिए अगर ऐसा नहीं करते हो तो मुसीबत कभी भी सामने आ सकती है, नैतिक शिक्षा की कहानी, naitik shiksha ki hindi kahani, naitik kahaniya, अगर आपको यह नैतिक कहानी पसंद आयी है तो शेयर जरूर करे और हमे भी बताये 

 

साधू का आश्रम हिंदी कहानी, naitik shiksha ki hindi kahani

naitik shiksha ki hindi kahani, साधू जी अपने आश्रम में सभी शिष्यों को शिक्षा दे रहे थे, क्योकि उन्हें लगता था की एक दिन यह शिष्य इस आश्रम का नाम रोशन कर सकते है साधु जी अपना ध्यान लगा रहे थे तभी उस जगह पर एक चिड़िया आ जाती है साधु जी उसे देखते है उसके पैर में चोट आयी थी वह उस चिड़िया का इलाज करते है जब वह चिड़िया ठीक हो जाती है, तो वह साधु जी के आश्रम में रुक जाती है, (naitik shiksha ki hindi kahani)

 

लेकिन एक समस्या आ रही थी जब भी साधु जी अपना ध्यान लगते थे तो वह चिड़िया साधु जी के पास आती थी, उन्हें परेशान करती थी क्योकि साधु जी ने उसके पैर को ठीक कर दिया था साधु जी ने एक शिष्य को बुलाया था उससे कहा की यह चिड़िया मुझे परेशान कर रही है तुम इसे पिंजरे में बंद कर दो जब तक में ध्यान लगाता हु तब तक यह पिंजरे में ही रहनी चाहिए उसके बाद तुम उसे आजाद कर देना शिष्य ने यही किया था,

 

अब यह हर रोज का काम हो गया था, जब भी साधु जी ध्यान लगाते तो चिड़िया को पिंजरे में बंद कर दिया जाता था, एक दिन साधु जी उस आश्रम को छोड़कर चले गए थे उसके बाद उन्होंने अपनी जगह पर एक शिष्य को नियुक्त किया था वह शिष्य अब साधु बन गया था जब वह ध्यान लगाता था तब उस चिड़िया को पिंजरे में बंद करवा देता था इस तरह एक दिन वह चिड़िया मर गयी थी, उस दिन यह बहुत बुरा दिन था क्योकि अब कैसे ध्यान लगा सकते है क्योकि उनके पास कोई अन्य चिड़िया नहीं थी जिसको वह पिंजरे में बंद कर सकते है

 

naitik shiksha ki hindi kahani, क्योकि जब तक कोई चिड़िया पिंजरे में बंद नहीं होती है तब तक कुछ नहीं हो सकता है इसलिए साधु ने कहा की हम ध्यान नहीं लगा सकते है इसलिए तुम जंगल की और जाओ एक चिड़िया पकड़कर लाओ, यह बात सुनकर सभी शिष्य जंगल की और जाते है, बहुत समय बाद उन्हें एक चिड़िया मिल जाती है उसके बाद साधु जी ध्यान लगाते है, यह उनकी परम्परा बन गयी थी जिसका कोई मतलब नहीं था, अगर आपको यह कहानी पसंद आयी है तो शेयर करे

 

गांव में शेर का हमला नैतिक कहानी : naitik shiksha ki hindi kahani

naitik shiksha ki hindi kahani, उस शेर ने गांव में सभी पर हमला किया था वह हर रोज ऐसा करता था मगर गवा में कोई भी उस शेर का सामना नहीं कर पा रहा था, क्योकि शेर का सामना करना इतना आसान नहीं है मगर गवा वाले इस बता को जानते थे की अगर ऐसा हर रोज होता रहता है तो एक दिन ऐसा अभी आएगा की कोई भी आदमी गांव में बचने वाला नहीं है सभी गांव वाले ने एक साथ सभी को इस बात के लिए बुलाया था

 

सभी गांव वाले शाम को आ जाते है और कहते है की हमे क्या करना चाहिए हम शेर से परेशान हो गए है हम सभी बहुत कमजोर है वह शेर बहुत ज्यादा हमला करने लगा है अब उसके हमले से कैसे बचा जा सकता है हमे कोई तो उपाय करना ही होगा अगर ऐसा नहीं हुआ तो हमे यह गवा छोड़कर जाना ही होगा उन्ही गांव में से एक आदमी बोला की हम एक शेर डरने के बाद गांव छोड़ दे और वह शेर हमारे गवा में रहे यह कोई बात नहीं है हमे यहां पर रहना है उस शेर को जाना होगा,

 

हम सभी लोग यह बता क्यों नहीं सोचते है की वह एक शेर है और हम सब बहुत सारे है हमे डरने की जरूरत नहीं है हमारी संख्या उस शेर से बहुत अधिक है अगर हम सभी दूर रहे तो यह संभव नहीं है मगर हम सभी जानते है की अगर हम एक साथ हो जाए तो बहुत कुछ कर सकते है यह बात समझ में आ जाए तो हम उस शेर को भगा सकते है कोई और हमे बचाने नहीं आने वाला है हमे ही कुछ करना होगा शायद सभी इस बात को समझ गए थे

 

अब वह सभी त्यार थे आज वह शेर नहीं बचने वाला है उसने बहुत नुक्सान कर दिया है अब बहुत हो गया है कुछ समय बड़ा ही वह शेर आता है और उन पर हमला करता है मगर कोई भी अब डर नहीं रहा था सभी ने मिलकर उसे जाल में फंसा दिया था अब शेर कुछ नहीं कर सकता था वह अब जाल में आ गया था जो काम वह बहुत समय पहले कर सकते है उन्होंने बहुत बाद में किया था

कहानी की नैतिक शिक्षा :- Naitik shiksha ki hindi kahani

यह कहानी हमे यही कहती है की जीवन में परेशान होने से कुछ नहीं होता है अगर आप जीवन में परेशानी को दूर कर सकते है तो आप खुश रह सकते है सभी समस्या का हल आपको मिल सकता है मगर आपको ही खोजना होगा अगर आपको यह नैतिक कहानी, naitik shiksha ki hindi kahani, naitik kahaniya, पसंद आयी है तो शेयर जरूर करे

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